By Ankit Singh
देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तर परीक्षा का पेपर लीक होने के मामले ने प्रदेश की राजनीति और सड़कों पर हलचल मचा दी है। यह परीक्षा पटवारी और ग्राम विकास अधिकारी समेत 416 पदों के लिए आयोजित की गई थी। 21 सितंबर को पेपर लीक की खबर सामने आने के बाद प्रदेशभर में छात्रों ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू कर दिए। देहरादून सहित कई जिलों में आंदोलन उग्र हो गया और छात्रों ने सरकार से सीबीआई जांच की मांग की। विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा। कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने आरोप लगाया कि बीजेपी नेताओं के संरक्षण में “नकल माफिया” सक्रिय है, जो युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। इस बीच, 30 सितंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक सेवानिवृत्त हाई कोर्ट जज की अध्यक्षता में विशेष जांच दल (SIT) के गठन की घोषणा की। हालांकि, छात्रों और विपक्ष की ओर से यह मांग लगातार उठ रही है कि मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए। फिलहाल आंदोलन को 10 अक्टूबर तक स्थगित कर दिया गया है, लेकिन कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि यदि सीबीआई जांच की घोषणा नहीं हुई तो 3 अक्टूबर को मुख्यमंत्री आवास तक मार्च निकाला जाएगा। सरकार अब सीबीआई जांच पर विचार कर रही है, लेकिन छात्रों का आक्रोश और राजनीतिक हलचल फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रही है।
