October 17 2025
GGST
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन का सीट बंटवारा पटरी से उतर गया है। इसका ठीकरा राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सिर पर फूट रहा है, जो अपनी भूखी महत्वाकांक्षा में सहयोगियों को कुर्बान कर रही है। कांग्रेस को दोष देना गलत है, क्योंकि RJD ही गठबंधन को तोड़ने पर तुली हुई लगती है। क्या यह RJD की खुद की राजनीतिक कब्र खोदने वाली चाल है?
2024 लोकसभा चुनावों की तरह ही RJD चीफ लालू प्रसाद ने फिर वही गलती दोहराई। पुर्णिया सीट पर बिना कांग्रेस से सलाह लिए उम्मीदवार का ऐलान किया था, वही तर्ज पर विधानसभा चुनावों में तेजस्वी यादव के दिल्ली में IRCTC केस और सीट शेयरिंग चर्चा के दौरान लालू ने RJD उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न बांट दिए। यह कांग्रेस के लिए खुली साजिश थी! तेजस्वी ने बाद में चिह्न वापस ले लिए, लेकिन रघोपुर से नामांकन के मेगा इवेंट में कोई सहयोगी नेता नहीं पहुंचा। न कांग्रेस, न CPI(ML), न विकासशील इंसान पार्टी (VIP)। तेजस्वी की बहन मीसा भारती ने जीत का दावा तो किया, लेकिन गठबंधन पर बात करते हुए उनकी जुबान लड़खड़ा गई।

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कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी 2020 के मुकाबले कम सीटें स्वीकार नहीं करेगी। RJD न सिर्फ कम सीटें दे रही थी, बल्कि कमजोर वर्चस्व वाली भी। राहुल गांधी ने तेजस्वी से साफ मना कर दिया। अब कांग्रेस ने अपने नेताओं को 243 सीटों पर लड़ने की तैयारी के आदेश दे दिए हैं, कार्यकर्ता भी खुश। 17 अक्टूबर को पहले चरण के नामांकन की आखिरी तारीख है, लेकिन कांग्रेस ने संयम बरता और कोई घोषणा नहीं की, जबकि RJD और CPI(ML) आगे बढ़ चुके हैं।
कांग्रेस का स्टैंड साफ: कम से कम 65 सीटें और अगर गठबंधन सरकार बनी तो डिप्टी सीएम का पद। गेंद RJD के पाले में है, जिसके पास बिहार में ज्यादा दांव पर है। NDA के खिलाफ विपक्ष की एकजुटता को यह गतिरोध बुरी तरह चोट पहुंचा रहा है। RJD ने SIR और वोट चोरी जैसे मुद्दों को भी वोटर अधिकार यात्रा के बाद बिहार अधिकार यात्रा में दफना दिया। राहुल गांधी की यात्रा को जनता ने सराहा, लेकिन स्थानीय राजनीति हावी हो गई। कांग्रेस-RJD रिश्ते अब सबसे निचले पायदान पर हैं। चुनावी समझौता हो सकता है, लेकिन हर पल गठबंधन को नुकसान हो रहा है। क्या RJD का लालच बिहार की सियासत में इसका अंजाम निकालेगा?

