इंडिया फॉर ह्यूमैनिटीः म्यांमार में 650 लोगों को लगाए गए कृत्रिम अंग

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यांगून। म्यांमार के यांगून में आयोजित जयपुर फुट लिम्ब फिटमेंट कैंप का समापन हुआ। इस कैंप का म्यांमार के 650 से अधिक दिव्यांगों ने लाभ उठाया, जिनमें आम नागरिकों के साथ ही सैन्यकर्मी भी शामिल थे। कृत्रिम अंग फिटमेंट शिविर भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा ‘इंडिया फॉर ह्यूमैनिटी’ कार्यक्रम के अंतर्गत समर्थित है, जिसका संचालन भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति (बीएमवीएसएस) द्वारा किया जा रहा है।


इस शिविर का उद्घाटन महात्मा गांधी की जयंती पर 2 अक्टूबर, 2025 को यांगून में पिटकट थोनबोन निकाय मठ में किया गया था। यांगून स्थित भारतीय दूतावास के सहयोग से छह सप्ताह तक चले शिविर में 650 लोगों को कृत्रिम अंग लगाए गए। भारतीय राजदूत अभय ठाकुर ने शिविर के उद्धाटन और समापन समारोह में हिस्सा लिया और सभी लाभार्थियों को भविष्य की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने बीएमवीएसएस टीम, म्यांमार के अधिकारियों और चिकित्साकर्मियों को उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया। भारतीय राजनयिक ने भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के तहत म्यांमार को विभिन्न क्षेत्रों में दी जाने वाली सहायता का भी जिक्र किया, जिससे देश के लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आए हैं।


भारतीय दूतावास ने एक बयान में कहा बीएमवीएसएस के सहयोग से अब तक यांगून में तीन कृत्रिम अंग फिटमेंट शिविर (फरवरी-मार्च 2017, जुलाई-अगस्त 2018 और मार्च-अप्रैल 2000) आयोजित किए जा चुके हैं, जिनसे म्यांमार भर में लगभग 1,500 शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों को लाभ हुआ है। यह अंग फिटमेंट शिविर, भारत सरकार द्वारा इंडिया फॉर ह्यूमैनिटी कार्यक्रम के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण और समयोचित मानवीय सहायता पहल का प्रतिनिधित्व करता है।


बता दें कि ‘जयपुर फुट’ एक प्रकार का कृत्रिम पैर है, जिसे खासतौर पर उन लोगों के लिए विकसित किया गया है, जिनके पैर किसी दुर्घटना, बीमारी या जन्मजात कारणों से नहीं हैं। स्थानीय सामग्री से निर्मित यह कृत्रिम पैर कम लागत और बहुउद्देशीय उपयोग के कारण दुनिया भर में विख्यात है। इसे बनाने वाली समिति बीएमवीएसएस को संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद में विशेष परामर्शदाता का दर्जा प्राप्त है। समिति ने हाल के वर्षों में विदेश मंत्रालय के सहयोग से विभिन्न देशों में 100 से अधिक विशेष शिविर आयोजित किए हैं और 44 देशों के 51 हजार से अधिक दिव्यांगों का पुनर्वास किया है।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)

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