
नई दिल्ली / पटना / कोलकाता:
राजनीतिक रणनीतिकार और ‘जनसुराज’ अभियान के प्रमुख प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह उनकी दो राज्यों – बिहार और पश्चिम बंगाल – की मतदाता सूचियों में नाम दर्ज होना है।
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, प्रशांत किशोर का नाम बिहार की हाजीपुर विधानसभा सीट के मतदाता सूची में पहले से मौजूद है। वहीं, हाल ही में सामने आई रिपोर्ट्स में यह भी खुलासा हुआ है कि उनका नाम पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्वाचन क्षेत्र भवानीपुर (Bhabanipur) की मतदाता सूची में भी जोड़ा गया है।
⚖️ क्या कहते हैं नियम?
भारत के चुनाव कानून के मुताबिक,
किसी व्यक्ति का नाम सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में ही दर्ज किया जा सकता है।
यदि कोई व्यक्ति दो जगह वोटर के रूप में पंजीकृत है, तो यह कानूनी उल्लंघन माना जाता है, जिसके लिए कार्रवाई हो सकती है।
📌 विवाद के मुख्य बिंदु
- प्रशांत किशोर का नाम दो अलग-अलग राज्यों की मतदाता सूची में पाया गया है।
- अब इस पर कानूनी और नैतिक दोनों सवाल उठ रहे हैं।
- बिहार चुनाव आयोग ने कहा है कि अगर दोहरी प्रविष्टि की पुष्टि होती है तो एक पंजीकरण रद्द किया जाएगा।
- प्रशांत किशोर ने अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
🗣️ राजनीतिक असर
राजनीतिक गलियारों में इस खुलासे को लेकर चर्चा तेज है। विपक्षी दल इसे “दोहरे आचरण” का उदाहरण बता रहे हैं, जबकि कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सिस्टम की खामी भी हो सकती है।
इस घटना से यह सवाल फिर उभरता है कि क्या भारत की मतदाता सूची पूरी तरह सटीक और पारदर्शी है, या अब भी उसमें सुधार की जरूरत है।
