विदेश राज्यमंत्री का इक्वाडोर, बोलीविया और क्यूबा का सफल दौरा

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नई दिल्ली। विदेश राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा का तीन देशों के सात दिवसीय सफल दौरे का समापन हुआ। उनकी आधिकारिक यात्रा 10 नवंबर को लैटिन अमेरिका में क्यूबा में पूरी हुई, जहां उन्होंने भारत और क्यूबा के बीच राजनयिक संबंधों की 65वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह में हिस्सा लिया। इसने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत करने और विविध क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत की स्थायी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
मंत्री का दौरा 4 नवंबर को इक्वाडोर के क्विटो पहुंचने के साथ शुरू हुआ और यह इस देश की उनकी पहली यात्रा थी। अपने प्रवास के दौरान, विदेश राज्य मंत्री मार्गेरिटा ने इक्वाडोर के व्यापारिक समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और विदेश मंत्री गैब्रिएला सोमरफेल्ड के साथ क्विटो में भारत के स्थायी दूतावास का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया। दोनों नेताओं ने घनिष्ठ सहयोग के अवसरों पर चर्चा करने के लिए एक द्विपक्षीय बैठक की और भारत और इक्वाडोर के राजनयिक प्रशिक्षण संस्थानों के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
अपनी यात्रा के दौरान राज्य मंत्री मार्गेरिटा ने कृषि, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर सुरक्षा, प्रशिक्षण एवं शिक्षा, संस्कृति, पर्यटन, व्यापार, वस्त्र, स्वास्थ्य और फार्मास्यूटिकल्स में सहयोग के अवसरों का पता लगाने के लिए इक्वाडोर के विभिन्न मंत्रालयों के मंत्रियों, उप-मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। उन्हें इक्वाडोर के राष्ट्रपति, महामहिम डैनियल नोबोआ अजिन से भी मुलाकात कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत की जनता का अभिवादन व्यक्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
इक्वाडोर में अपने कार्यक्रमों के बाद, मंत्री महोदय बोलीविया के नए राष्ट्रपति, महामहिम रोड्रिगो पाज़ परेरा के उद्घाटन समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए दुनिया की सबसे ‘ऊंची’ राजधानी ला पाज़ गए। अपनी यात्रा के दौरान, राज्य मंत्री मार्गेरिटा ने ला पाज़ में भारतीय दूतावास के नए चांसरी भवन का उद्घाटन किया और बोलीविया के व्यापारिक संघों और उद्यमियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर द्विपक्षीय व्यापार और निवेश, विशेष रूप से खनिज, वस्त्र, पर्यटन और फार्मास्यूटिकल क्षेत्रों में, को मज़बूत करने पर चर्चा की। उन्होंने बोलीविया में भारतीय राजदूत के आधिकारिक निवास, इंडिया हाउस का भी उद्घाटन किया।
ये यात्राएं वैश्विक दक्षिण के देशों के साथ साझेदारी को गहरा करने के भारत के व्यापक दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करती हैं, जो साझा मूल्यों, पारस्परिक सम्मान और विकास एवं तरक्की की सामूहिक आकांक्षा पर आधारित है।

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