आजादी के बाद पहली बार कर्तव्य पथ पर मनाया गया दीपावली उत्सव सीएम रेखा गुप्ता के नेतृत्व में लाखों दीये एक साथ जग मगाए राजधानी में कर्तव्य पथ पर आस्था और आधुनिकता का अद्भुत संगम: सीएम रेखा गुप्ता

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नई दिल्ली, 18 अक्तूबर 2025
Varsha Chamoli

दिल्ली के कर्तव्य पथ पर इस बार का दीपावली महोत्सव हर लिहाज से ऐतिहासिक रहा। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में राजधानी ने वो नजारा देखा, जो अब तक सिर्फ अयोध्या में ही देखने को मिलता था—हजारों दीयों की जगमगाहट, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की उमंग और आधुनिक तकनीक से रचा गया दिव्य माहौल।

कर्तव्य पथ पर आयोजित इस भव्य दीपोत्सव की सबसे खास बात यह रही कि पहली बार दिल्लीवासियों ने भगवान श्रीराम के जीवन चरित को ड्रोन शो में आसमान में देख पाने का सौभाग्य पाया। हजारों ड्रोन से रचे इस दृश्य में जब रामायण की गाथा आकार ले रही थी, तो दर्शकों की आंखें भी श्रद्धा से नम थीं। वहाँ मौजूद हर शख्स के मन में एक ही भावना थी—हम केवल राजधानी के निवासी नहीं, हमारी संस्कृति, परंपरा और आस्था का गर्व भी हममें है।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता खुद इस पूरे आयोजन में पूरी तरह डूबी हुई नजर आईं। उन्होंने खुद कहा कि यह दीपोत्सव सिर्फ रोशनी का पर्व नहीं, बल्कि दिल्ली की नई ऊर्जा, नई उम्मीद और बदलती सोच का उत्सव है। उन्होंने यह भी कहा कि अब दिल्ली न सिर्फ शासन और प्रशासन का केंद्र है, बल्कि यहाँ की सांस्कृतिक धड़कन भी उतनी ही मजबूत है। राजधानी के सभी वर्गों—बच्चे, महिलाएं, युवा, बुजुर्ग—हर किसी के चेहरे पर दीयों की चमक और दिल में राजधानी के लिए गर्व साफ झलक रहा था।

मंच से मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी आभार जताया। उन्होंने कहा कि दिल्ली की सरकार हर नागरिक को सुरक्षा, सम्मान, और समान अवसर देने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री ने इस आयोजन को सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का पर्व बताया, जिसमें सिर्फ धार्मिक आस्था ही नहीं, बल्कि समाज के हर स्तर को जोड़ने की ताकत है।

मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बताया गया कि ऐसा आयोजन दिल्ली में पहली बार हुआ है। दीपोत्सव के जरिए दिल्ली ने न केवल पर्व की भव्यता दिखाई, बल्कि यह भी साबित किया कि हमारी परंपराएं, चाहे जितनी पुरानी हों, तकनीक के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ सकती हैं।

इस साल का दीपावली महोत्सव दिल्ली वालों के लिए खास रहा। कर्तव्य पथ पर जब हर कोई, अपनी आस्था और उमंग के साथ, दीये जलाते दिखा, तो ये भरोसा और भी गहरा हो गया कि दिल्ली अब केवल दिल्ली नहीं, बल्कि देश की सांस्कृतिक पहचान की नई मिसाल बन रही है।

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