नई दिल्ली, 13 नवंबर:
वर्षा चमोली

दिल्ली के लाल किले में हाल ही में हुए धमाके के बाद देश की राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने इस घटना को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुवे कहा कि आतंकवाद को केवल “विदेशी साजिश” बताकर नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता, क्योंकि आतंकी दो तरह के होते हैं — विदेशी प्रशिक्षित और घरेलू।
चिदंबरम ने x पर कहा कि पहलगाम आतंकी हमले से पहले और बाद में भी मैं यही कहता रहा हूँ कि आतंकवादी दो तरह के होते हैं – विदेश से प्रशिक्षित घुसपैठिए आतंकवादी और घरेलू आतंकवादी। मैंने संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान भी यही कहा था। घरेलू आतंकवादियों के ज़िक्र पर मेरा मज़ाक उड़ाया गया और मुझे ट्रोल किया गया। हालाँकि, मुझे कहना होगा कि सरकार ने इस पर चुप्पी साध ली क्योंकि सरकार जानती है कि घरेलू आतंकवादी भी होते हैं। इस ट्वीट का मक़सद यह है कि हमें खुद से पूछना चाहिए कि ऐसी कौन सी परिस्थितियाँ हैं जो भारतीय नागरिकों – यहाँ तक कि पढ़े-लिखे लोगों को भी – आतंकवादी बना देती हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए केवल सुरक्षा एजेंसियों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक नीतियों में सुधार की ज़रूरत है।
इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज़ हो गई है। भाजपा नेताओं ने चिदंबरम के बयान को “आतंकवाद को सही ठहराने की कोशिश” बताया, जबकि कांग्रेस ने कहा कि यह बयान आतंकवाद के कारणों को समझने की गंभीर पहल है, न कि उसे जायज़ ठहराने की।
लाल किले धमाके की जांच फिलहाल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के हवाले है। एजेंसी ने अब तक कई संदिग्धों से पूछताछ की है और विस्फोटक सामग्री के स्रोत का पता लगाने की कोशिश जारी है।
