दुनिया भर में ‘गीता’ की गूंज बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा विदेश मंत्रालय

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नई दिल्ली।

हरियाणा का कुरुक्षेत्र इन दिनों ‘अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव’ के रंग में रंगा हुआ है। इस अवसर पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव समारोह को वर्चुअली संबोधित करते हुए इस पवित्र ग्रंथ को धार्मिक सीमाओं से परे बताया। उन्होंने कहा कि यह धार्मिक जीवन, आंतरिक शक्ति और आध्यात्मिक स्पष्टता के लिए एक सार्वभौमिक मार्गदर्शक है। इसकी शिक्षाएं विभिन्न पीढ़ियों और भौगोलिक क्षेत्रों के लोगों के मन को प्रकाशित करती रहती हैं और बदलती दुनिया में मार्गदर्शन एवं ज्ञान प्रदान करती हैं।
जयशंकर ने यह बात एक वीडियो संदेश में कही, जिसे 24 नवंबर को कुरुक्षेत्र में आयोजित महोत्सव में प्रसारित किया गया। यह महोत्सव 15 नवंबर को शुरू हुआ था, जो कि पांच दिसंबर तक चलेगा। यह कार्यक्रम विदेश मंत्रालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है, जिसमें रोजाना आध्यात्मिक नेताओं, विद्वानों और राजनीतिक नेताओं का जमावड़ा लग रहा है।


विदेश मंत्रालय इस महोत्सव को वैश्विक स्तर पर विख्यात बनाने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है। डॉ. जयशंकर ने भी अपने संबोधन में बताया कि कैसे विदेश मंत्रालय इस महोत्सव को सफल बनाने के लिए जुटा हुआ है। उन्होंने कहा विदेश मंत्रालय ने दुनिया भर में गीता की गूंज को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। विदेश में मिशन के साथ मिलकर, मिनिस्ट्री ने जाने-माने विदेशी स्कॉलर्स की पहचान की है, जो इस सेलिब्रेशन में हिस्सा लेंगे और इस स्पिरिचुअल बातचीत में अलग-अलग नजरिए रखेंगे।
विदेश मंत्री ने कहा एग्जिबिशन के लिए भगवद गीता के 25 से अधिक ट्रांसलेटेड एडिशन इकट्ठा किए गए हैं, जो अलग-अलग कल्चर और भाषाओं में इसकी पहुंच दिखाते हैं। दुनिया भर में 50 से ज़्यादा मिशन और पोस्ट पैरेलल इवेंट और एग्जिबिशन ऑर्गनाइज कर रहे हैं, जो गीता के यूनिवर्सल मैसेज और स्पिरिचुअल गहराई को पक्का करते हैं। बॉर्डर पार कम्युनिटीज को एक साथ लाकर, मिनिस्ट्री गीता की तालमेल और मजबूती की भावना को दिखाने की कोशिश करती है। गीता की शिक्षाएं इंसानियत को एक ज्यादा शांतिपूर्ण, मकसद वाली और ज्ञान भरी दुनिया की ओर गाइड करती रहें।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)

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