उत्तराखंड में नई उड़ान! पिथौरागढ़–मुन्स्यारी और हल्द्वानी–अल्मोड़ा मार्गों पर हेलीकॉप्टर सेवा शुरू

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📍 देहरादून | रिपोर्ट: Varsha chamoli , विशेष संवाददाता

उत्तराखंड सरकार ने पहाड़ी इलाकों को बेहतर संपर्क देने और पर्यटन को नई दिशा देने के उद्देश्य से दो नए हवाई मार्गों पर हेलीकॉप्टर सेवा शुरू की है।
ये सेवाएँ पिथौरागढ़–मुन्स्यारी और हल्द्वानी–अल्मोड़ा मार्गों पर संचालित होंगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरी झंडी दिखाकर इस सेवा का शुभारंभ किया और कहा कि यह कदम “आर्थिक विकास और कनेक्टिविटी के नए युग” की शुरुआत है।


✈️ सेवा के मुख्य विवरण

  • यह सेवा राज्य सरकार की “उड़ान योजना (UDAN)” के तहत शुरू की गई है।
  • शुरुआती चरण में सप्ताह में चार दिन उड़ानें संचालित होंगी।
  • टिकट दरें रियायती रखी गई हैं, ताकि स्थानीय लोग और पर्यटक दोनों इसका लाभ उठा सकें।
  • हेलीकॉप्टर में 6–8 यात्रियों की क्षमता है।

🏞️ पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा

पर्यटन विभाग का मानना है कि इस पहल से कुमाऊँ क्षेत्र के दुर्गम इलाकों तक पहुँच आसान हो जाएगी।
मुन्स्यारी, जिसे “मिनी स्विट्जरलैंड” कहा जाता है, वहाँ तक अब पर्यटकों को सड़क मार्ग से 10–12 घंटे की यात्रा नहीं करनी पड़ेगी।
नई हवाई सेवा से यह सफर सिर्फ 35–40 मिनट में पूरा होगा।

स्थानीय व्यवसायियों का कहना है कि इस पहल से

  • होटलों में बुकिंग बढ़ेगी,
  • होमस्टे उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा,
  • और स्थानीय उत्पादों (जैसे ऑर्गैनिक हर्ब्स व ऊन उत्पादों) की बिक्री भी बढ़ेगी।

🗣️ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान

“हमारा लक्ष्य है कि उत्तराखंड के हर कोने तक बेहतर कनेक्टिविटी पहुँचे।
यह सेवा न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगी बल्कि आपदा के समय राहत कार्यों में भी बेहद सहायक होगी।”


⚙️ तकनीकी एवं संचालन व्यवस्था

  • सेवा का संचालन पवन हंस लिमिटेड और हेरिटेज एविएशन द्वारा किया जा रहा है।
  • हवाई पट्टियों पर सुरक्षा और आपातकालीन इंतज़ाम किए गए हैं।
  • यात्रियों के लिए ऑनलाइन बुकिंग पोर्टल भी सक्रिय कर दिया गया है।

📸 फोटो कैप्शन सुझाव

1️⃣ “मुख्यमंत्री धामी हेलीकॉप्टर सेवा का शुभारंभ करते हुए”
2️⃣ “हल्द्वानी एयरस्ट्रिप से उड़ान भरता हेलीकॉप्टर”
3️⃣ “मुन्स्यारी की वादियों में उतरता पहला हेलीकॉप्टर”


🗞️ निष्कर्ष

उत्तराखंड सरकार की यह पहल राज्य की हवाई कनेक्टिविटी, पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयाँ देने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।
इससे न केवल पहाड़ी क्षेत्रों तक पहुँच आसान होगी, बल्कि राज्य की आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था को भी नई उड़ान मिलेगी।

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